
असम राईफल्स ने अपने जबांज सिपाहियों को ऐसे किया याद
रायगढ़। अभी हाल असम राईफल्स ने मणिपुर में अपने जांबाज सिपाहियों की स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस अवसर पर असम राईफल्स, भारतीय सेना के उच्चपदस्थ अधिकारी, असम राईफल्स से जुड़े सिपाहियों के अलावे असम राईफल्स के दिवंगत सिपाहियों के परिजन भी शामिल थे।
वैसे तो इस पूरे आयोजन की शुरूवात बीते १७ फरवरी से आयोजित फुटबॉल टूनामेंट के साथ हो गई थी जिसमें महिला और पुरूष फुटबॉल के चौदह टीमों ने अपनी सहभागिता दर्ज की थी। इसी आयोजन के तहत असम राईफल्स की ओर से अपने जांबाज सिपाहियों के परिजनों जिनमें कर्नल विप्लव त्रिपाठी के अलावे चार राईफल मैन के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया था।
४ फरवरी को शहीद परिवारों के परिजनों का स्वागत मणिपुर की राजधानी इंफाल के एयरपोर्ट में पूरी गर्मजोशी से करने के बाद उन्हें इंफाल स्थित आईजी असम राईफल्स के परिसर में ले जाया गया जहां कर्नल विप्लव त्रिपाठी के नाम से नवनिर्मित टीआरजी सेंटर का शुभारंभ कर्नल विप्लव त्रिपाठी मां आशा त्रिपाठी द्वारा फीता काटकर किया गया।
४६ असम राईफल्स के पूर्व मुख्यालय और अब ३७ असम राईफल्स के मुख्यालय में जहां चार राईफल मैन सुमन स्वरगियरी, राईफल मैन खेतनी कोनियाक, राईफल मैन श्यामल दास और राईफल मैन राजेन्द्र मीना के परिजनों में से सिर्फ राईफल मैन सुमन स्वरगियरी के परिजन शामिल थे। इस बटालियन मुख्यालय के पूर्व नाम को बदलकर उसका नामकरण ‘विप्लव गेरिशन’ करते हुए उसका अनावरण शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी के माता-पिता से कराया गया और उसके बाद बटालियन मुख्यालय के कार्यालय स्थित स्मृति स्थल में कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनके सहयोगी सिपाहियों को पुष्प मालाओं की श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके बाद चूढ़ाचांदपुर में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट के फायनल मैच में विजेता और उपविजेता टीम के अलावे व्यक्तिगत पुरूस्कारों से खिलाडिय़ों को पुरूस्कार वितरित किये गये।
इस अवसर पर भारतीय सेना के जीओसी कोर-३, एव्हीएसएम, वाईएसएम, ले.जनरल अभिजीत एस पेन्ढारकर, मेजर जनरल रवरूप सिंह तथा असम राईफल्स के सैन्य अधिकारी के अलावे शहीद सिपाहियों के परिजन भी उपस्थित थे।
दूसरे दिन सुबह शहीद परिवारों के परिजनों को पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ म्यांमार की सीमा से जुड़े उस क्षेत्र में ले जाया गया जहां १३ नवम्बर २०२१ को अलगाववादियों ने एम्बुस लगाकर हमला किया था। यहां वीरगति प्राप्त करने वाले सैन्य अधिकारी एवं जवानों की स्मृति में कर्नल विप्लव त्रिपाठी की माँ श्रीमती आशा त्रिपाठी द्वारा एक पौधा रोपा गया।
उल्लेखनीय है कि यही असम राईफल्स के जांबाज सिपाहियों ने अपने लहू से शहादत की ईमारत लिखी थी जिनमें कर्नल विप्लव त्रिपाठी की पत्नी अनुजा त्रिपाठी और उनके उनके सात वर्षीय पुत्र अबीर भी शामिल थे।
यहां यह उल्लेख करना असमीचिन नहीं होगा कि न केवल रायगढ़ बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ के लोग अगर ऐसी अपेक्षा कर रहे हैं कि देशभक्ति के जज्बे के साथ अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले कर्नल विप्लव त्रिपाठी की स्मृति में अगर उनके गृह राज्य छत्तीसगढ़ से हजारों मील दूर मणिपुर में उन्हें इस तरह से याद किया जा रहा है तो उनके अपने राज्य छत्तीसगढ़ में उनके सर्वस्व बलिदान को अनदेखी क्यों की जा रही है? इसी प्रश्न के साथ छत्तीसगढ़ की मौजूदा सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि कर्नल विप्लव त्रिपाठी की स्मृति में उनके अदम्य साहस, वीरोचित शौर्य और देशभक्ति के जज्बे को अक्षुण्य बनाये रखने के लिये किसी राज्य स्तरीय अलंकरण अथवा पुरूस्कार या सम्मान की घोषणा क्यों नहीं की जा सकती
